नई दिल्ली, 25 अगस्त 2025 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से एक बार फिर स्वदेशी अपनाने और स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने की अपील की है। इस बार पीएम मोदी ने दुकानदारों से कहा है कि वे अपनी दुकानों के बाहर “स्वदेशी” लिखे बोर्ड अवश्य लगाएँ, ताकि उपभोक्ताओं को स्पष्ट संदेश मिले कि वे भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दें। यह आह्वान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारत पर नए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो अगले हफ्ते से लागू होगा। अमेरिका का कहना है कि यह कदम भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने पर “दंड” (penalty) के रूप में उठाया गया है।
स्वदेशी आंदोलन की नई परिभाषा
पीएम मोदी का यह कदम महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन की याद दिलाता है, जब अंग्रेज़ी शासन के ख़िलाफ़ आम जनता ने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर भारतीय उत्पादों को अपनाया था। आज के दौर में यह अभियान आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की उसी कड़ी को आगे बढ़ाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वदेशी बोर्ड केवल एक प्रतीक नहीं होगा, बल्कि यह भारत की आर्थिक स्वतंत्रता और स्थानीय उद्योगों को मज़बूत बनाने का माध्यम बनेगा। उनका कहना है कि जब दुकानदार खुद यह संदेश देंगे, तो उपभोक्ताओं के बीच भी यह आदत बनेगी कि वे खरीदारी करते समय पहले भारतीय उत्पादों को प्राथमिकता दें।
अमेरिका के टैरिफ का संकट
अमेरिका ने हाल ही में ऐलान किया कि भारत से आयातित कुछ उत्पादों पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि भारत ने रूस से तेल खरीदने के फैसले को नज़रअंदाज़ किया है, जबकि पश्चिमी देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका इसे जियोपॉलिटिकल चुनौती मानते हुए भारत को दंडित करने की कोशिश कर रहा है।
भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह टैरिफ भारतीय निर्यात पर भारी असर डाल सकता है, विशेषकर टेक्सटाइल, आईटी सेवाओं, फ़ार्मा और स्टील जैसे क्षेत्रों पर। लेकिन मोदी सरकार का तर्क है कि यदि भारत स्वदेशी और स्थानीय उत्पादन पर ध्यान देगा, तो इन झटकों का असर कम होगा।
पीएम मोदी की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा:
> “यह समय आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाने का है। जब दुकानदार अपने प्रतिष्ठानों पर ‘स्वदेशी’ का बोर्ड लगाएंगे, तो यह केवल एक शब्द नहीं रहेगा, बल्कि यह हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक होगा। भारत को अब किसी भी विदेशी दबाव के सामने झुकना नहीं है।”
बाज़ार और व्यापारियों की प्रतिक्रिया
इस घोषणा के बाद देशभर के व्यापारी संगठनों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी।
कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने इस पहल का स्वागत किया और कहा कि यह छोटे व्यापारियों और स्थानीय निर्माताओं को बढ़ावा देगा।
कुछ व्यापारियों ने चिंता जताई कि यदि उपभोक्ता केवल “स्वदेशी बोर्ड” देखकर विदेशी उत्पादों को नज़रअंदाज़ करेंगे, तो उनकी बिक्री प्रभावित हो सकती है।
बड़े मॉल्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर यह देखना दिलचस्प होगा कि वे “स्वदेशी बोर्ड” के इस अभियान को कैसे लागू करते हैं।
विशेषज्ञों की राय
1. आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के टैरिफ का सीधा असर भारतीय निर्यात पर होगा, लेकिन यदि भारत घरेलू खपत और स्थानीय उत्पादन को बढ़ा दे, तो इन नुकसानों की भरपाई संभव है।
2. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि मोदी सरकार एक बार फिर राष्ट्रवाद और स्वदेशी की भावना को केंद्र में रखकर जनता को जोड़ने की कोशिश कर रही है।
3. अंतरराष्ट्रीय
संबंध विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका और
भारत के बीच यह
तनाव लंबा खिंच सकता है, लेकिन भारत ने रूस से
तेल खरीदकर अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को प्राथमिकता दी
है, जो उसकी स्वतंत्र
विदेश नीति का संकेत है।
आम
जनता की प्रतिक्रिया
सड़क पर आम लोगों से पूछने पर कई रोचक प्रतिक्रियाएँ सामने आईं –कुछ युवाओं ने कहा कि वे पहले से ही “मेड इन इंडिया” प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देते हैं और यह अभियान उन्हें और प्रेरित करेगा।
कुछ लोगों का कहना है कि “केवल बोर्ड लगाने से कुछ नहीं होगा, असली बदलाव तब आएगा जब गुणवत्ता और कीमत दोनों में भारतीय सामान विदेशी सामान को टक्कर देंगे।”
ग्रामीण क्षेत्रों में कई दुकानदारों ने खुशी जताई कि सरकार का यह कदम स्थानीय कारीगरों और छोटे उद्योगों के लिए एक अवसर बनेगा।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत की स्थिति
भारत इस समय एक ऐसी स्थिति में है जहां उसे अमेरिका और रूस दोनों के साथ संतुलन बनाकर चलना है।
अमेरिका चाहता है कि भारत उसके साथ मिलकर रूस के खिलाफ़ खड़ा हो।
लेकिन भारत की ऊर्जा ज़रूरतें इतनी बड़ी हैं कि वह रूस से तेल आयात बंद नहीं कर सकता।
चीन की बढ़ती ताकत को देखते हुए भारत को अमेरिका के साथ रणनीतिक रिश्ते भी बनाए रखने हैं।
यह सब भारत की विदेश नीति को और जटिल बनाता है।
आर्थिक प्रभाव
भारत में 25% अमेरिकी टैरिफ का सबसे ज्यादा असर इन क्षेत्रों पर पड़ सकता है:
1. कपड़ा उद्योग – अमेरिका भारतीय टेक्सटाइल का बड़ा आयातक है।
2. फार्मा – भारतीय दवाओं की अमेरिकी बाज़ार में बड़ी हिस्सेदारी है।
3. स्टील और एल्युमिनियम – अमेरिका ने पहले भी इन पर टैरिफ लगाया था।
4. आईटी सेवाएँ – अप्रत्यक्ष रूप से असर पड़ सकता है क्योंकि अमेरिका में भारतीय कंपनियाँ बड़े पैमाने पर काम करती हैं।
स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत
यह अभियान सिर्फ व्यापारिक नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक और सांस्कृतिक संदेश भी है।
स्वदेशी अपनाने का मतलब है कि भारत अपनी सांस्कृतिक पहचान और आर्थिक स्वतंत्रता को मज़बूत करे।
आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार होगा जब देश का हर नागरिक स्थानीय उत्पादों का इस्तेमाल गर्व से करेगा।
सरकार का मानना है कि यदि “स्वदेशी बोर्ड” हर दुकान पर लगेगा, तो धीरे-धीरे उपभोक्ताओं के मन में भी यह विश्वास जमेगा कि भारतीय सामान ही सही विकल्प है।
निष्कर्ष
पीएम मोदी की यह पहल ऐसे समय आई है जब भारत को वैश्विक स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका के नए टैरिफ भारत के लिए बड़ा आर्थिक झटका साबित हो सकते हैं, लेकिन सरकार इसे स्वदेशी आंदोलन और आत्मनिर्भर भारत के अवसर में बदलना चाहती है।
“दुकानों पर स्वदेशी बोर्ड” केवल एक नारा नहीं है, बल्कि यह भारत की आर्थिक नीति और जनता की मानसिकता को बदलने की कोशिश है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह अभियान कितना सफल होता है और क्या यह भारत को सचमुच अमेरिकी टैरिफ जैसे झटकों से बचा पाएगा।
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